धूम्रलोचन वध की कथा -दुर्गा सप्तशती अध्याय 6 

शुम्भ और निशुम्भ दैत्यों के राजा का सेनापति धूम्रलोचन था . हिमालय पर हुंकार भर रही महा सुंदरी देवी ने जब शुम्भ से विवाह का प्रस्ताव ठुकरा दिया तब धूम्रलोचन को कहा गया की उस देवी के केश पकड़कर घसीटते हुए लाया जाये और यदि इस बीच कोई भी देवता, यक्ष या गंधर्व बाधा बने तो उन्हें मार दिया जाये |

 

Durga Saptshati adhyay 6

अपने स्वामी का आदेश पाकर सेनापति धूम्रलोचन उस मायादेवी का हरण करने विशाल सेना के साथ मद में चलने लगा . उसके साथ हजारो महाविशाल काय दैत्यों की सेना थी . उक्त स्थान पर जाकर वो देवी को ललकारने लगा

दुर्गा सप्तशती से जाने माँ दुर्गा के लिए गये अवतार

माँ दुर्गा के चमत्कारी मंत्र दुर्गा सप्तशती से



 तुम सीधे सीधे मेरे साथ चलो अन्यथा मैं तुम्हे केश पकड़ कर घसीटता हुआ ले चलूंगा | देवी ने कहा आगे बढ़ो और अपना बल दिखाओ | जैसे ही अहंकार में भरा धूम्रलोचन देवी की तरफ बढ़ा , देवी ने हुंकार भरी और सिर्फ हुम् शब्द के उच्चारण मात्र से ही  पल में ही उसे भस्म कर दिया |

अपने सेनापति की इस तरह दुर्दशा देखर असुर सेना ने एक साथ देवी पर आक्रमण किया | तब देवी की सवारी सिंह असुर सेना पर टूट पड़ा और साथ ही साथ देवी के बाणों और फरसों से देखते ही देखते सम्पूर्ण सेना का संहार कर दिया | 

इस तरह माँ ने पर धूम्रलोचन और उसके ६०००० असुर सैनिको का वध किया | हिमालय में उन सभी का लहू चारो दिशाओ में बिखरा पड़ा था . 


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